7 Causes of Vitamin B12 Deficiency

विटामिन B12 की कमी के 7 कारण

भारत की लगभग आधी आबादी विटामिन बी12 की कमी से पीड़ित है।

जैसा कि हम जानते हैं, अपर्याप्त आहार पोषण की कमी का कारण बनता है। लेकिन, इसके अलावा कुछ स्थितियाँ और बीमारियाँ भी पोषण (विटामिन बी12) की कमी का कारण होती हैं।

बी12 की कमी के कारण सख्त शाकाहारी या शाकाहारी आहार, पेट की सूजन (गैस्ट्राइटिस), कुपोषण, दवाएँ, सर्जरी के बाद शरीर पर प्रभाव, आदतन शराब, मधुमेह के कारण पोषण की कमी से संबंधित हो सकते हैं।

विटामिन बी12 की कमी के कारण:

  • Hypochlorhydria – पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का उत्पादन करने में असमर्थता। हाइड्रोक्लोरिक एसिड विटामिन B12 को प्रोटीन से अलग करने में मदद करता है ताकि इसे अवशोषित किया जा सके।

  • Intrinsic Factor की कमी – पेट में मौजूद एक प्रोटीन जो विटामिन B12 के साथ बंध कर शरीर को विटामिन B12 को उचित रूप से अवशोषित करने में मदद करता है।

  • Pernicious Anemia – यह एक ऑटोइम्यून प्रकार की मेगालोब्लास्टिक एनीमिया है जिसमें शरीर विटामिन B12 को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता।

  • पेट/आंतों की बीमारियाँ – जैसे कि Malabsorption, Crohn’s disease, Celiac disease, chronic diarrhoea आदि बीमारियाँ B12 के अवशोषण को बाधित करती हैं।


1. Strict Veganism or Vegetarianism:



जिन आहारों में बहुत कम या कोई भी पशु-जनित उत्पाद नहीं होता, उनमें विटामिन B12 की मात्रा बेहद कम होती है।

शरीर से रोज़ B12 का जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई आहार से नहीं हो पाती, जिससे लंबी अवधि तक ऐसा आहार रखने से B12 की कमी हो सकती है।

इसकी पूर्ति समय पर सप्लिमेंट्स या सूजन, अवशोषण की समस्याओं को दूर करके करनी ज़रूरी है।

दुनिया के जिन क्षेत्रों में लंबे समय से शाकाहारी या वेगन जीवनशैली अपनाई गई है, वहाँ यह कमी सामान्य रूप से देखी जाती है।

हालांकि, कुछ शाकाहारी और वेगन विकल्पों में भी विटामिन B12 के अच्छे स्रोत उपलब्ध हैं।


2. पेट की सूजन (Atrophic Gastritis):

Atrophic Gastritis पेट की आंतरिक परत में होने वाली सूजन का एक प्रकार है।
यह एक ऑटोइम्यून प्रक्रिया के कारण हो सकता है जिसमें शरीर अपनी ही परत को नुकसान पहुँचाता है या फिर H. pylori बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण भी हो सकता है।

  • ऑटोइम्यून: इसमें intrinsic factor भी नष्ट हो जाता है जिससे विटामिन B12 का अवशोषण कम हो जाता है।

  • संक्रमण: H. pylori बैक्टीरिया भी gastritis के लिए जिम्मेदार है, जिसका इलाज एंटीबायोटिक्स से किया जाता है, लेकिन यह बार-बार दोहराया जा सकता है।


3. अवशोषण में बाधा (Malabsorption):


विटामिन B12 का अवशोषण छोटी आंत के अंतिम हिस्से – ileum – में होता है। यह विटामिन intrinsic factor से बंधा होता है।
जब किसी कारण ileum को नुकसान पहुँचता है, तो विटामिन B12 का अवशोषण कठिन हो जाता है।
कारणों में सर्जरी, आंतों का रीसैक्शन, और सूजनजन्य रोग – जैसे Crohn’s disease – शामिल हैं।
ऐसी स्थिति में शरीर विटामिन B12 को अवशोषित नहीं कर पाता, जिससे एनीमिया और न्यूरोलॉजिकल लक्षण दिखाई देने लगते हैं।


4. दवाइयाँ:

GERD (गैस्ट्रोएसोफैजियल रिफ्लक्स डिजीज) के लिए ली जाने वाली दवाइयाँ – जैसे कि पेट दर्द, एसिडिटी और खट्टा पानी मुँह में आना – यदि लंबे समय तक ली जाती हैं, तो विटामिन B12 के अवशोषण को कम कर सकती हैं।

  • सबसे सामान्य दवाओं में Proton Pump Inhibitors (PPIs) और H2 Receptor Blockers शामिल हैं।
    ये दवाइयाँ पेट में एसिड की मात्रा कम कर देती हैं, जिससे विटामिन B12 को प्रोटीन से अलग करने की प्रक्रिया बाधित होती है।
    इससे शरीर विटामिन B12 को सही तरह से अवशोषित नहीं कर पाता।


5. मेजर सर्जरी:

बड़ी शल्यक्रियाएँ शरीर के लिए तनावपूर्ण होती हैं और पेट पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
इससे भूख कम लगना, अपच, पोषक तत्वों का कम अवशोषण और अल्सर जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
Weight Loss Surgery के दौरान पेट का हिस्सा – antrum – हटाया जा सकता है या उसे नुकसान पहुँचता है।
यह हिस्सा B12 के पाचन के लिए आवश्यक Intrinsic Factor और एसिड बनाता है।
जब antrum हट जाता है, तो विटामिन B12 का पाचन और अवशोषण घट जाता है, जिससे एनीमिया और नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।


6. नियमित शराब पीना (Habitual Alcoholism):

प्रतिदिन 50ml से अधिक शराब पीना लीवर को नुकसान पहुँचाता है और आंतों में पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा उत्पन्न करता है।
इससे वजन कम होना, दस्त (diarrhoea), और हड्डियों की कमजोरी (osteoporosis) जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
अल्कोहल लिवर में मेटाबोलिक असंतुलन पैदा करता है, जिससे fatty liver या cirrhosis जैसी गंभीर स्थितियाँ पैदा होती हैं।
शरीर को जरूरी पोषक तत्व जैसे विटामिन, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, फैट्स और इलेक्ट्रोलाइट्स का उचित अवशोषण नहीं हो पाता, जिससे शरीर कमज़ोर हो जाता है।
ऐसी स्थिति में मल्टीविटामिन सप्लिमेंट्स की आवश्यकता होती है।


7. डायबिटीज मेलाइटस (Diabetes Mellitus):

डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित नहीं कर पाता, जिससे हाइपरग्लाइसीमिया हो जाता है।
इसके कारण भूख अधिक लगना, प्यास अधिक लगना, और अधिक पेशाब आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
अधिक चीनी और पानी की मौजूदगी के कारण पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ता है, जिससे दस्त (diarrhoea), bacterial overgrowth, संक्रमण, और किडनी को नुकसान हो सकता है।
डायबिटीज की आम दवा Metformin विटामिन B12 के अवशोषण को कम कर देती है।
इसलिए ऐसे मरीजों को विटामिन B12 की पूर्ति पर ध्यान देना ज़रूरी होता है।


निष्कर्ष:

बीमारी, बिगड़ी हुई सेहत या किसी भी प्रकार की अस्वस्थता सीधे या परोक्ष रूप से पाचन तंत्र को प्रभावित करती है और इसके कारण अपच और ज़रूरी पोषक तत्वों – विशेषकर विटामिन B12 – के अवशोषण में बाधा आती है।
यदि आप भी ऐसी किसी स्थिति से गुजर रहे हैं और आपके शरीर में विटामिन B12 की कमी देखी जा रही है, तो आपको इसकी निगरानी ज़रूर करनी चाहिए।
शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने और सभी शारीरिक कार्यों के लिए B12 की पर्याप्त मात्रा अत्यंत आवश्यक है।
इसलिए इसके पूरक की व्यवस्था करना अनिवार्य है।


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