पेट में गैस होने के कारण भारीपन या पेट फूलना बहुत सामान्य है। यह स्थिति तब अधिक दिखाई देती है जब हम बहुत तेज़ी से खा लेते हैं, बार-बार जंक फूड खाते हैं, तनाव में होते हैं या शरीर को पर्याप्त हलचल नहीं मिल रही होती। अच्छी बात यह है कि – राहत पाने के लिए हमेशा दवाएँ लेने की जरूरत नहीं होती।
योग पेट की मांसपेशियों को आराम देता है और अंदर फँसी हुई गैस को प्राकृतिक रूप से बाहर आने में मदद करता है। कुछ सरल आसन और धीमी, नियंत्रित साँस लेने से पेट हल्का और आरामदायक महसूस होता है।
इस लेख में, हम ऐसे सरल योगासनों के बारे में जानेंगे जो गैस और पेट में भारीपन कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, साँस लेने की मूलभूत विधियाँ और स्वस्थ पाचन तथा गट (gut) हेल्थ के लिए दैनिक छोटे उपायों के बारे में भी सीखेंगे।
योगासन गैस को प्राकृतिक रूप से दूर करने में कैसे मदद करते हैं
पाचन, गैस और योगासन का संबंध
जब भोजन ठीक से नहीं पचता, तब पेट और आंतों में हवा फँस जाती है। कुछ योगासन पेट के क्षेत्र में हल्का दबाव और खिंचाव उत्पन्न करते हैं, जो रक्त प्रवाह बढ़ाता है और फँसी हुई गैस को आगे बढ़ाने में मदद करता है।
जब आप नियमित रूप से योगासन करते हैं, तब आपके कोर (core) मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और पाचन अधिक आसानी से कार्य करता है। समय के साथ, यह पेट की गैस और भारीपन कम करता है और पेट को अधिक हल्का और आरामदायक बनाता है।
दवाओं की तुलना में गैस से राहत के लिए योगासन क्यों चुनें?
ओवर-द-काउंटर दवाएँ तुरंत राहत देती हैं, लेकिन वे समस्या के मूल कारण को दूर नहीं करतीं। दूसरी ओर, गैस के लिए किए जाने वाले योगासन पेट के क्षेत्र में रक्त प्रवाह और पाचन दोनों को सुधारते हैं। योग मन को शांत करता है और तनाव कम करता है। और तनाव ही अक्सर पाचन संबंधी समस्याओं और पेट में भारीपन का मुख्य कारण बनता है।
पेट का भारीपन और गैस को प्राकृतिक रूप से दूर करने के लिए 7 प्रभावी और सरल योगासन
1. पवनमुक्तासन (गैस दूर करने वाला आसन)
यह आसन पेट और आंतों में फँसी गैस को बाहर निकालकर पेट को हल्का बनाता है, पाचन सुधारता है और भारीपन कम करता है।
कैसे करना है:
पीठ के बल सीधे लेट जाएँ।
एक पैर को छाती की ओर लाएँ और दोनों हाथों से पकड़ें।
घुटने को हल्के से पेट की ओर दबाएँ और 30 सेकंड रखें।
पैर बदलें और फिर करें।
फिर दोनों पैरों को साथ में छाती की ओर लाकर हल्के से दबाएँ।
टिप्स: यह आसन खाली पेट या भोजन के 2 घंटे बाद करें, दबाव हल्का रखें और साँस धीमी और नियंत्रित रखें।
2. अपानासन (Apanasana - Knees-to-Chest Pose)
यह आसन पेट और आंतों में फँसी गैस को बाहर निकालने में मदद करता है, पाचन सुधारता है और पेट को हल्का तथा आरामदायक बनाता है।
कैसे करना है:
पीठ के बल लेट जाएँ।
दोनों पैरों को घुटने से मोड़कर छाती की ओर लाएँ।
हाथ से घुटनों को हल्के से दबाएँ और 20–30 सेकंड तक रहें।
टिप्स: इस आसन को करते समय साँस धीमी और गहरी रखें, घुटने को सिर्फ उतना ही दबाएँ जितना आराम महसूस हो, कोई ज़ोर न करें।
3. अर्ध मत्स्येंद्रासन (Half Spinal Twist Pose)
यह आसन पाचन सुधारता है और पेट में गैस कम करने में मदद करता है, साथ ही रीढ़ की हड्डी की लचक बढ़ाता है।
कैसे करना है:
ज़मीन पर पैर सीधे करके बैठें।
दाएँ घुटने को मोड़कर बाएँ पैर के बाहर रखें।
शरीर को दाईं ओर मोड़ें।
बाएँ कोहनी को दाएँ घुटने के बाहर टिकाएँ।
20–30 सेकंड तक रखें और फिर दूसरी तरफ करें।
टिप्स: शरीर को धीरे और आराम से मोड़ें, साँस गहरी रखें और अगर कमर या पीठ में दर्द हो तो ज़बरदस्ती न करें।
4. बालासन (Child’s Pose)
यह आसन पेट को शांत करता है, गैस कम करता है और मानसिक तनाव घटाता है।
कैसे करना है:
घुटनों के बल बैठें और एड़ियों पर बैठ जाएँ।
शरीर को आगे की ओर झुकाएँ।
हाथों को आगे फैलाएँ।
माथे को ज़मीन पर रखें और 1 मिनट तक साँस धीमी रखें।
टिप्स: यह आसन खाने के तुरंत बाद न करें। शरीर को ढीला रखें, साँस धीमी और गहरी लें, और यदि घुटनों में तनाव हो तो नीचे छोटा तकिया या कपड़ा रखें।
5. सेतु बंध आसन (Bridge Pose)
यह आसन पेट और पाचन अंगों में रक्त प्रवाह सुधारता है, गैस कम करता है और कमर को मजबूत बनाता है।
कैसे करना है:
पीठ के बल लेट जाएँ और घुटनों को मोड़कर पैर जमीन पर रखें।
हाथों को बगल में रखकर कमर को धीरे-धीरे ऊपर उठाएँ और शरीर को पुल जैसा आकार दें।
15–30 सेकंड इस स्थिति में रहें और फिर धीरे वापस आएँ।
टिप्स: कमर उठाते समय साँस धीमी और स्थिर रखें, और गर्दन/कंधों पर अतिरिक्त दबाव न आने दें।
6. अधोमुख श्वानासन (Downward-Facing Dog)
यह आसन पाचन और रक्त प्रवाह सुधारता है, पेट में गैस कम करता है, साथ ही हाथ, कंधे और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
कैसे करना है:
हाथ और घुटनों पर आएँ।
कूल्हों को ऊपर उठाएँ और शरीर को उल्टे “V” के आकार में रखें।
धीमी और गहरी साँस लें।
टिप्स: एड़ी जमीन तक न पहुँचे तो कोई समस्या नहीं; साँस नियंत्रित रखें और गर्दन को आराम में रखें।
7. सुप्त मत्स्येंद्रासन (Supta Matsyendrasana)
यह आसन आंतों पर हल्का दबाव देकर पाचन गति को सुधारता है, पेट के अंदर फँसी हवा को बाहर निकालने में मदद करता है और कमर व रीढ़ की हड्डी को दबाव और जकड़न से राहत देता है।
कैसे करना है:
पीठ के बल लेट जाएँ।
दाएँ घुटने को मोड़ें और उसे बाईं ओर रखें।
सिर को दाईं ओर घुमाएँ।
30 सेकंड बाद बाईं ओर भी यही करें।
टिप्स: शरीर को धीरे-धीरे मोड़ें, साँस लंबी रखें, और खिंचाव सिर्फ उतना ही करें जितना आराम महसूस हो।
Tips to Maximize Gas Relief from Yoga
Best Time to Practice
गैस कम करने के लिए किए जाने वाले योगासन सुबह खाली पेट या शाम को भोजन के कम से कम 2–3 घंटे बाद करने से अधिक प्रभाव मिलता है।
इस समय शरीर हल्का रहता है, मांसपेशियाँ आसानी से खिंचती हैं और फँसी हुई गैस को बाहर आने में मदद मिलती है।
Foods to Support Digestion
पपीता, केला, सेब जैसे फाइबर वाले फल खाएँ।
दही, छाछ जैसे प्रोबायोटिक शामिल करें - ये गट हेल्थ सुधारते हैं।
कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, ज्यादा तैलीय और जंक फूड से बचें - ये गैस बढ़ाने की संभावना बढ़ाते हैं।
भोजन धीरे और चबा-चबाकर करें - तेज़ी से खाना भी गैस का बड़ा कारण है।
संतुलित भोजन के साथ योग करने से पेट हल्का रहता है और पाचन समय पर होता है।
Precautions
भोजन करने के बाद तुरंत योग न करें, कम से कम 2–3 घंटे का अंतर रखें।
यदि हर्निया, अल्सर, गंभीर कमर दर्द या कोई सर्जरी हुई हो, तो इन योगासनों को करने से पहले डॉक्टर या योग विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है।
आसन करते समय यदि दर्द, असुविधा या चक्कर महसूस हो तो तुरंत आसन रोककर आराम करें।
Conclusion – Use Yoga Daily for a Healthier, Lighter Gut
योग वास्तव में गैस और पेट के भारीपन से राहत पाने का एक बहुत सरल तरीका है। इसमें किसी विशेष उपकरण या सेटअप की आवश्यकता नहीं होती। रोज़ कुछ मिनट योग करने से ही पेट हल्का और आरामदायक महसूस होता है।
हमने जिन आसनों के बारे में ऊपर चर्चा की है, वे पेट के क्षेत्र में हल्का दबाव और खिंचाव देते हैं, जिससे अंदर फँसी गैस को बाहर आने में मदद मिलती है और पाचन आसान बनता है।
इसके साथ ही, योग मन को शांत करता है और तनाव कम करता है, जो अक्सर पाचन समस्याओं का छुपा हुआ कारण होता है।
यदि आप इन आसनों को रोज़, सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले करें, तो पेट का भारीपन, गैस और कसाव धीरे-धीरे कम होता है।
ऊर्जा में भी सकारात्मक परिवर्तन महसूस होगा।
योग के साथ कुछ छोटे जीवनशैली बदलाव भी बहुत मददगार होते हैं:
भोजन धीरे और अच्छे से चबाकर करें।
खाना खाकर तुरंत न सोएँ — थोड़ा चलें या बैठें।
ऐसे छोटे बदलाव समय के साथ बड़ा अंतर लाते हैं।
योगासनों को धीरे-धीरे और अपनी गति से करें। रोज़ के कुछ सरल कदम ही शरीर को फिर से हल्का, शांत और आरामदायक महसूस कराते हैं।